जानिए कैसे 11 साल बाद भाई बेहेन ने अमेरिका से वापसी पर लौटाया मूंगफली का कर्ज़ ।।।

 


उधार लेकर भूल जाना अधिकतर लोगों की आदत होती है. बाजार से अगर आप महंगी चीजें उधार ले रहे हैं तो आपको किसी ना किसी तरह वो उधार चुकाना ही पड़ेगा. लेकिन वहीं आपने चंद रुपयों की चीज उधार ली तो आप उसे भूल जाते हैं. आंध्र प्रदेश के मोहन भी इसी तरह एक मूंगफली वाले का उधार भूल गए थे. लेकिन 11 सालों बाद उन्होंने बड़े ही शानदार तरीके से उस मूंगफली वाले का उधार चुकाया है. 

2010 में शुरू हुई थी उधार की ये कहानी 

इसी साल एनआरआई मोहन अपने बेटे नेमानी प्रणव और बेटी  सुचिता के साथ आंध्र प्रदेश के U Kothapalli beach पर घूमने निकले थे. यहीं पर मोहन ने अपने बच्चों के लिए सत्तैया नाम के मूंगफली वाले से मूंगफलियां खरीदीं थीं. बच्चों ने मूंगफली खानी शुरू कर दी लेकिन जब पैसे देने की बारी आई तो मोहन को एहसास हुआ कि वो अपना बटुआ घर ही भूल आए हैं. अब उनके पास मूंगफली वाले को देने के लिए पैसे नहीं थे.





नहीं लिए थे मूंगफली के पैसे 

शायद कोई और दुकानदार होता तो पैसे की मांग करता लेकिन सत्तैया दरियादिल निकले. उन्होंने मोहन से पैसे नहीं लिए और उन्हें फ्री में ही मूंगफली दे दी. मोहन ने भी उससे वादा किया कि वो जल्द ही उसका उधार चुका देगा. इसके बाद मोहन ने सत्तैया की एक तस्वीर खींच ली. 

मोहन ने उधार चुकाने का वादा तो कर दिया था लेकिन हम सब जानते हैं कि थोड़े बहुत पैसों का उधार जल्दी किसी को याद नहीं रहता, मोहन को भी याद नहीं रहा और एनआरआई मोहन बिना उधार चुकाये ही कुछ दिनों की यात्रा के बाद अपने परिवार संग अमेरिका लौट गए.




11 साल बाद विदेश से उधार चुकाने आए भाई बहन

कुछ पैसों के उधार की बात थी, इतने सालों में सारी बात भूल जानी चाहिए थी मोहन और उनके बच्चों को लेकिन ये लोग यहां उधार के मामले में औरों से अलग निकले. 2010 में शुरू हुई कहानी का सुखद अंत हुआ लगभग 11 साल बाद जब मोहन के बच्चे नेमानी प्रणव और सुचिता वापस भारत आए. 

उन्हें सत्तैया और उसकी उदारता याद थी और साथ में उन्हें उनका उधार भी याद था. दोनों भाई बहनों ने सत्तैया का उधार लौटाने का फैसला किया. लेकिन समस्या ये थी कि 11 साल बाद अब आखिर सत्तैया को ढूंढा कहां जाए. लेकिन नेमानी और उनकी बहन ये चैलेंज मंजूर किया और जुट गए सत्तैया को खोजने में. इन बच्चों के पिता मोहन भी मूंगफलीवाले के पैसे लौटाने को लेकर काफी उत्सुक थे, क्योंकि पैसे लौटाने का वादा तो उन्होंने ने ही किया था. ऐसे में नेमानी और उनकी बहन ने सत्तैया को ढूंढने में काकीनाडा शहर के विधायक चंद्रशेखर रेड्डी की मदद ली.

सत्तैया नहीं रहे मगर उधार चुका दिया 

मोहन की गुजारिश के बाद विधायक रेड्डी भी इस नेक काम के लिए जल्दी ही तैयार हो गए और उन्होंने बिना देर किए फेसबुक पर सत्तैया की तलाश को लेकर एक पोस्ट शेयर कर दी. उनकी शेयर की हुई पोस्ट ने अपना असर दिखाया और जल्द ही उनके पैतृक गांव नगुलापल्ली के कुछ लोगों ने विधायक को सत्तैया के बारे में खबर दे दी. सत्तैया का पता तो चल गया था मगर अफसोस की बात ये थी कि वह अब इस दुनिया में नहीं रहे. लेकिन नेमानी और सुचिता ने अपना वादा पूरा करते हुए उनके परिवार को 25,000 रुपये की राशि देने का फैसला किया..


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